छू लिया जो तूने दिल को,और क्या रह गया बाकी है,
दिल पर मेरे राज कर रही,और क्या रह गया बाकी है,
कसमें वादे प्यार मोहब्बत,सुबह शाम बस तेरी चाहत,
नज़रें ढूंढे बस तेरी सूरत, और क्या रह गया बाकी है,
दीवाना सा मैं बना फिरता था हर पल अपनी मस्ती में,
आशिक बना लिया आपने,और क्या रह गया बाकी है,
दिल दिया सुख चैन भी खोया अपनी मैने तेरे प्यार में,
न रहा दोस्त न कोई अपना,और क्या रह गया बाकी है,
मै अनजाना प्यार मोहब्ब्त से, दिल दीवाना बना दिया,
अपना प्यार बना लिए हो, और क्या रह गया बाकी है,
एक-दूजे के होकर हम-तुम एक नई दुनियां बसाते हैं,
जब तुम्हें माना है हमसफर,और क्या रह गया बाकी है!
अब और क्या रह गया बाकी है….
🖋️सूर्य प्रताप राव रेपल्ली