क्या  छुपा लाई  हो

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इन झील सी गहरी आंखों में   क्या  छुपा लाई  हो,

क्या मेरे लिए अपने दिल में तुम प्यार भर लाई  हो,

जो गुजरती हो तुम, जब धूप से राह में कहीं  कभी,

आपके इन काली जुल्फों से  लगे, बादल  लाई  हो,

जब देखूं गहरी झील सी आखें लगे चाहत लाई हो,

कुछ कहूं या नहीं दिल कहता  मेरा, प्यार लाई  हो!

🖋️सूर्य प्रताप राव रेपल्ली 🙏

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