कौन चाहता किसी से,दिल अपना लगाना कभी,
नजरें कभी किसी से मिली, दिल मिल गए तभी,
अनजाने से वो बन जाती है मंजिल व हमसफ़र,
न कोई रोक पाया, न रोक पायेगा प्यार में कभी,
दो दिलों का मिलना,जो होता है बस कभी कभी,
कोई क्या नाम दे इसको,प्यार जो इसे कहे सभी,
एक दूजे के हो जाते हैं, दो अनजाने कभी कभी!
🖋️सूर्य प्रताप राव रेपल्ली 🙏