अब तेरी नफ़रत से कोई रिश्ता मुझे नहीं निभाना है,
तेरी नफ़रत भी कुछ ऐसी के तेरी नफ़रत नई नहीं है,
तेरे बिन भी जी लेंगे फिर से देख लेना इस दुनियां में,
मेरे प्यार को ठोकर है मारी,मुझे ज़हर तो नहीं दिया है,
भरी दुनियां में गर चाहा तुम्हें ही, हां ये गलती की है,
भूल जाउंगा,कसम न भुलाने की तुमने तो नहीं दी है,
देख लेना रहकर दूर मुझसे और मेरे प्यार से भी तुम,
यूं दीवाना संग रहा तेरे,वो कोई अनजाना तो नहीं है।
🖋️सूर्य प्रताप राव रेपल्ली🙏