वो ढूंढ रहे थे माचिस बस आग लगाने के लिए यारों,
है उन्हें क्या ख़बर वो जो थे यूं मुस्कुराये आग लग गई!
उसकी यादों में ये दिल खोया रहता था हर पल यारों,
क्या ख़बर के वो मेरा सपनों में इन्तज़ार कर रही यारों,
उसे भी ख़बर है बिन उसके मेरे दिल का हाल प्रताप,
सामने खड़ा मै उसके,तस्वीर हाथों देख रही मेरी यारों,
गमों का दौर है चल रहा हर तरफ़ हर दिल में प्रताप,
न जानें क्यूं मुझसे मुस्कुराने की ज़िद कर रही है यारों!
🖋️सूर्य प्रताप राव रेपल्ली🙏