पतझड़ में पत्तों की दास्तान भी अजीब सी है देखी,
जब तक थे हरे, साख ने भी उनका था साथ दिया!
है पड़ी रंगत उन पत्तों की पीली पड़ने लगी प्रताप,
उस साख ने भी उन पत्तो का साथ देना है छोड़ दिया!
थे साथ सभी मिलकर जब,थे हवा का माहौल दिया,
हैं रंग क्या बदले,सब साथ छोड़ जमीं पर गिरा दिया!
सीख उन पत्तों ने भी हम सबको दिया है ये प्रताप,
मिलकर रहें हम सभी, मिलकर रहने संदेश है दिया!
🖋️सूर्य प्रताप राव रेपल्ली 🙏