चाहता हूं उसे दिल से मै प्रताप यूं उसे भूल जाऊं,
ये मुमकिन नहीं है,
खत प्यार का न खोलने शर्त था दिया, खोल कर देखूं,
ये मुमकिन नहीं है.
हो गई किसी की दिल जानता है, फिर उसे अपना कहूं,
ये मुमकिन नहीं है.
थे बिताए कुछ पल संग हमनें,उन लम्हों को भूल जाऊं,
ये मुमकिन नहीं है.
सफ़र लंबा साथ चलने जिद कर रही, साथ में छोड़ दूं,
ये मुमकिन नहीं है.
आज वो फिर साथ चलने जिद कर रही,कह दिया मैंने,
ये मुमकिन नहीं है.
🖋️सूर्य प्रताप राव रेपल्ली 🙏