आजकल की शादियां, यूं हो गई फास्ट फूड की दुकान,ठेले जैसी निभाते रिश्ते, आज ये तो…
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ये मुमकिन नहीं है
चाहता हूं उसे दिल से मै प्रताप यूं उसे भूल जाऊं,ये मुमकिन नहीं है,खत प्यार का…
झड़ते हुए पत्तों की सीख
पतझड़ में पत्तों की दास्तान भी अजीब सी है देखी,जब तक थे हरे, साख ने भी…
अनुपम देश हमारा
देखा है सारा संसार मैंने, न देखा ऐसा स्वर्ग कहीं,लूं दूसरा जन्म अगर, तो मिले भारत …
हम करें तो क्या करें…
खत उसने तो प्यार की लिख भेजा है मुझे प्रतापशर्त इस बात की,यूं दिलों के राज़…
अनुपम देश हमारा
अपनी कलम से, देखा है सारा संसार मैंने, न देखा ऐसा स्वर्ग कहीं, लूं दूसरा जन्म…
वो जो थे यूं मुस्कुराये आग लग गई
वो ढूंढ रहे थे माचिस बस आग लगाने के लिए यारों,है उन्हें क्या ख़बर वो जो थे…